Wheat Benefits in Hindi –
लेटिन नाम – ट्रीटिकम एसिटवम (Triticum aestivum), ट्रीटिकम वलगेरे (Triticum vulgere)
पेशाब के साथ वीर्य जाना : सौ ग्राम गेंहूँ (Wheat) रात को पानी में भिगों दें | सवेरे उसी पानी में उन्हें पत्थर पर पीसकर लस्सी बना लें | स्वाद के लिए चीनी मिला लें | सात दिन पीने से आराम हो जाता है |
पागल कुत्ते के काटे की पहचान : गेंहूँ के आटे को पानी में गूँधकर, ओशन कर, उसकी कच्ची रोटी (बिना तवे पर सेंके) कुत्ता काटे स्थान पर रख कर बांध दें | थोड़ी देर बाद उसे खोलकर किसी अन्य कुत्ते के पास खाने के लिए डाल दें | यदि खाली तो समझें कि जिस कुत्ते ने काटा है, वह पागल नहीं है |
दस्त, आमातिसार : सौंफ को पीसकर पानी में मिला कर, छान कर इस सौंफ के पानी में गेंहूँ का आटा (Wheat flour) औसण कर रोटी बना कर खाने से लाभ होता है |
पाचक : गेहूँ (Wheat) का आटा रोटी बनाने हेतु पानी डाल कर औसण लें, गौंद लें तथा एक घंटा पड़ा रखें और फिर इसकी रोटी बना कर खायें | यह रोटी शीघ्र पच जाती है |
चोट : गेहूँ (Wheat) की राख, घी और गुड़ तीनों समान मात्रा में मिला कर एक चमच्च सुबह-शाम दो बार खाने से चोट का दर्द ठीक हो जाता है |
सूजन : गेंहूँ उबाल कर गर्म-गर्म पानी से सूजन वाली जगह को धोने से सूजन कम हो जाती है |
हड्डी टूटने पर 12 ग्राम गेंहूँ (Wheat) की राख इतने ही शहद में मिलाकर चाटने से टूटी हुई हड्डियाँ जुड़ जाती हैं | कमर और जोड़ों के दर्द में भी आराम होता है |
कीड़े : गेंहूँ (Wheat) के आटे में समान मात्रा में बोरिक एसिड पाउडर मिलाकर पानी डाल कर गोलियाँ बना लें और गेंहूँ में रखें | कीड़े, काक्रोच नहीं रहेंगे |
चर्म रोग : विशेषत : खर्रा, दुष्ट अकौता तथा दाद की तरह कठिन, गुप्त एंव सूखे चर्म रोगों में – गेंहूँ को गर्म तवे पर खूब अच्छी तरह भून कर, जब वह बिलकुल ही राख की तरह हो जाए तो उसे खरल में खूब अच्छी तरह पीस कर शुद्ध सरसों के तेल में मिलाकर सम्बन्धित स्थान पर लगाने से कई वर्षों के असाध्य एवं पुराने चर्म रोग ठीक हुए हैं |